प्रश्न: प्रश्न: ‘विद्या ददाति विनयम्’ सुभाषितम् का अर्थ क्या है?
उत्तर: इस श्लोक का अर्थ समझने के लिए इन चरणों का पालन करें।
प्रथम चरण – पाठ
विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम्।।
द्वितीय चरण – पदच्छेद
विद्या ददाति विनयम् विनयात् याति पात्रताम् पात्रत्वात् धनम् आप्नोति धनात् धर्मम् ततः सुखम्।
तृतीय चरण – अन्वय
विद्या विनयं ददाति, विनयात् पात्रतां याति, पात्रत्वात् धनम् आप्नोति, धनात् धर्मं (लभ्यते), ततः सुखं (लभ्यते)।
चतुर्थ चरण – शब्दार्थ
विद्या विनम्रता प्रदान करती है। विनम्रता से योग्यता आती है। योग्यता से मनुष्य धन प्राप्त करता है। वह धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त करता है।
पंचम चरण – भावार्थ / तात्पर्य
यथार्थ ज्ञान से मनुष्य का अहंकार नष्ट होता है और वह विनम्र हो जाता है। ऐसी शिक्षा और विनम्रता से व्यक्ति योग्य बन जाता है। योग्यता के अनुसार संपत्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार से अर्जित किये धन द्वारा व्यक्ति धर्म अर्थात् अपने कर्तव्य का पालन करके सुख प्राप्त करता है।
विद्या → विनम्रता → योग्यता → धन → धर्म → सुख
प्रश्न: ‘विद्या ददाति विनयम्’ किस ग्रन्थ से है?
उत्तर: ‘विद्या ददाति विनयम्’ सुभाषित नारायण पंडित द्वारा लिखित ‘हितोपदेश’ पुस्तक से है।
Question: What is the meaning of ‘Vidya dadati vinayam’ subhashitam?
Answer: Follow these steps to understand the meaning of this shloka.
Step 1) Recitation:
vidyā dadāti vinayaṃ vinayādyāti pātratām। pātratvāddhanamāpnoti dhanāddharmaṃ tataḥ sukham।।
Step 2) Words separation:
vidyā, dadāti, vinayaṃ, vinayāt, yāti, pātratām, pātratvāt, dhanam, āpnoti, dhanāt, dharmaṃ, tataḥ, sukham.
Step 3) Words rearrangement in prose order:
Vidyā vinayaṃ dadāti, vinayāt pātratām yāti, pātratvāt dhanam āpnoti, dhanād dharmaṃ (labhyate), tataḥ sukham (labhyate).
Step 4) Literal meaning:
“Knowledge makes one humble, humility begets worthiness, worthiness creates wealth, wealth leads to right conduct, and right conduct brings happiness.”
Step 5) Essence:
True learning frees a person from ego and makes them humble. Such learning and humility make one worthy. One earns wealth based on one’s worthiness. The person then uses the earned wealth in discharging their duties righteously and experiences happiness in return.
Learning → Humility → Worthiness → Right conduct → Happiness
Question: Which book is ‘Vidya dadati vinayam’ from?
Answer: ‘Hitopadesha’, authored by Narayan Pandit.
See also: An intro to Subhashitani
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