Balmukundashtakam | बालमुकुन्दाष्टकम्

करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।

वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 1 ॥

जो अपने कमल जैसे हाथ से अपने कमल जैसे पैर के अंगूठे को अपने कमल जैसे मुँह में रखकर बरगद के पेड़ के पत्ते पर सो रहा है, उस बाल मुकुन्द (कृष्ण) का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ ।

I meditate on that infant Mukunda (Krishna) in my heart who is sleeping on the leaf of a banyan tree with his lotus like foot (toe) placed in his lotus like mouth with his lotus like hand.

संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्ये शयानमाद्यन्तविहीनरूपम् ।

सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 2 ॥

जो अपने आदि-अन्त रहित दिव्य रूप में सारे संसार को एक बरगद के पत्ते पर समेट कर विश्राम करता है, जो सभी का भगवान है और जिसका अवतार सभी के कल्याण के लिए है, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that infant Mukunda who is sleeping in a divine form with no beginning or end, holding all the worlds together on a banyan leaf. He is the Lord of all and his incarnation is for the welfare of all.

इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्यम्

संतानकल्पद्रुममाश्रितानां बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 3 ॥

जिसका गहरे नीले कमल के समान कोमल शरीर है, जिसके चरण कमलों की पूजा इंद्र और अन्य देवता करते हैं, और जो उसकी शरण में आने वालों के लिए बढ़ता हुआ कल्प वृक्ष है, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that Bala (child) Mukunda in my heart, who has a tender body like a dark-blue lotus, whose lotus feet are worshipped by Indra and other deities, and who is the growing wish-fulfilling tree for those who take refuge in Him.

लम्बालकं लम्बितहारयष्टिं शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपङ्क्तिम्

बिम्बाधरं चारुविशालनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 4॥

जिसके लंबे घुंघराले बाल हैं, जो लंबी माला पहनता है, जिसके दांतों की पंक्तियों पर प्रेम लीला की मनमोहक मुस्कान अंकित है, जिसके होंठ बिंबा फल के समान (लाल) हैं, और जिसकी आँखें बड़ी और प्यारी हैं, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that Bala Mukunda in my heart, who has long curly hair, a long hanging necklace, a beautiful row of teeth showing a smile of love play. His lips are as red as Bimba fruits and he has beautiful wide eyes.

शिक्ये निधायाद्यपयोदधीनि बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम्

भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 5 ॥

जिसने गोपियों के बाहर जाने पर उनके लटकते हुए बर्तनों से तृप्ति भर दही खाकर ऐसे दिखावा किया मानो वह सो रहा हो, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that Bala Mukunda in my heart, who pretended as if he was sleeping, having eaten the curd to his contentment from the hanging pots of the Gopis (cowherd ladies) when they had gone out.

कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य फनाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम्

तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 6 ॥

जिसका सुंदर चेहरा शरद ऋतु के चंद्रमा के समान है और जो यमुना नदी में कालिया नाग के फन के ऊपर उसकी पूंछ को अपने हाथ से पकड़कर खुशी से नाच रहा था, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that Bala Mukunda in my heart whose beautiful face resembles the autumn moon and who danced joyfully over the top of Kaliya snake’s hood in the river Yamuna holding its tail with his hand.

उलूखले बद्धमुदारशौर्यं उत्तुङ्गयुग्मार्जुन भङ्गलीलम्

उत्फुल्लपद्मायत चारुनेत्रं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 7 ॥

जिसने ओखली (अनाज कूटने के लिए एक बड़ा भारी पत्थर का पात्र) से बंधे होने के बावजूद बड़ी वीरता के साथ अर्जुन के दो ऊंचे पेड़ों को तोड़ दिया था, उस पूर्ण खिले हुए कमल के पत्तों के समान सुंदर आंखों वाले बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on Bala Mukunda with beautiful eyes like the petals of a full-bloomed lotus and who with great valour broke the pair of tall Arjuna trees even though he was tied to a mortar (a large heavy stone bowl for pounding grain).

आलोक्य मातुर्मुखमादरेण स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम्

सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ 8 ॥

जो अपनी मां के स्तन से दूध पीते समय अपनी कमल जैसी आंखों से उसके चेहरे को स्नेहपूर्वक देखता है और जिसका दिव्य अनंत स्वरूप शुद्ध चेतनामय है, उस बाल मुकुंद का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ।

I meditate on that Bala Mukunda who looks at his mother’s face with his lotus eyes affectionately while drinking milk from her breast and whose divine infinite form reflects pure consciousness.

॥ इति श्री बिल्वमङ्गलठाकुरविरचितम् बालमुकुन्दाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

इस प्रकार श्री बिल्वमंगल ठाकुर द्वारा रचित बालमुकुन्दाष्टकं पूरा होता है।

Thus ends the Balmukundashtakam composed by Sri Bilvamangala Thakur.

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