“वैदिक विज्ञान ही परम विज्ञान है। उसी से मनुष्य चिरस्थायी शांति का लाभ कर सकता है। संस्कृत भाषा लोक-लोकान्तर में बोले जाने वाली भाषा है। संस्कृत को विश्व-व्यापी ही नहीं, अपितु ब्रह्माण्ड-व्यापी भाषा कहना उचित होगा। संस्कृत भाषा को अपनाने से परम तत्त्व के ज्ञान का मार्ग सुगम हो जाता है।”
– ब्रह्मर्षि योगिराज देवराहा बाबा
“Vedic Science is the ultimate science. One can attain everlasting peace through that alone. Sanskrit is the language spoken in various worlds. It would be appropriate to call Sanskrit not only a world-wide but also a universe-wide language. By adopting the Sanskrit language, the path to knowledge of the ultimate essence becomes easier.” –
Devraha Baba, a Himalayan Yogi from Brahmarshi clan and a great authority on Sanskrit.