Cows praised in Agni Purana | अग्निपुराण में गोमहिमा

(अग्निपुराण २९२/१-६)

गावः पवित्रा माङ्गल्या गोषु लोकाः प्रतिष्ठिताः॥

(भगवान् धन्वन्तरि आचार्य सुश्रुत से कहते हैं – हे सुश्रुत!) – गौएँ पवित्र और मंगलदायिनी हैं। गौओं में समस्त लोक प्रतिष्ठित हैं।

शकृन्मूत्रं परं तासामलक्ष्मीनाशनं परम्।

गवां कण्डूयनं वारि शृङ्गस्याघौघमर्दनम् ॥

गौओं का गोबर और मूत्र अलक्ष्मी (दरिद्रता) के नाश का सर्वोत्तम साधन है। उनके शरीर को खुजलाना तथा उन्हें श्रृंगोदक से स्नान कराना समस्त पापों का मर्दन करने वाला है।

गोमूत्रं गोमयं क्षीरं दधि सर्पिश्च रोचना।

षडङ्गं परमं पाने दुःस्वप्नाद्यादिवारणम्॥

गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोदधि, गोघृत और गोरोचना – यह ‘षडङ्ग’ पीने के लिए उत्कृष्ट वस्तु तथा दुःस्वप्न आदि का निवारण करने वाला है।

रोचना विषरक्षोघ्नी ग्रासदः स्वर्गगो गवाम्।

यद्गृहे दुःखिता गावः स याति नरकं नरः॥

गोरोचना विष और राक्षसों का (राक्षस-जन्य कष्टों का) विनाश करती है। गौओं को ग्रास देने वाला स्वर्ग को प्राप्त होता है। जिसके घर में गौएँ दुःखित होकर निवास करती हैं, वह मनुष्य नरकगामी होता है।

परगोग्रासदः स्वर्गी गोहितो ब्रह्मलोकभाक्।

गोदानात् कीर्तनाद्रक्षां कृत्वा चोद्धरते कुलम्॥

दूसरे की गाय को ग्रास (भोजन) देने वाला स्वर्ग को और गोहित में तत्पर रहने वाला ब्रह्मलोक को प्राप्त होता है। गोदान, गो-माहात्म्य-कीर्तन और गोरक्षण से मानव अपने कुल का उद्धार कर देता है।

गवां श्वासात् पवित्रा भूः स्पर्शनात् किल्बिषक्षयः।

गौओं के श्वास-प्रश्वास से भूमि पवित्र होती है और गौओं के स्पर्श करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है।

(अग्निपुराण २९२/१५-१८)

गावः प्रतिष्ठा भूतानां गावः स्वस्त्ययनं परम्।

अन्नमेव परं गावो देवानां हविरुत्तमम्॥

गौएँ प्राणियों के जीवन की प्रतिष्ठा हैं और गौएँ कल्याण का महान निधान हैं। गौएँ ही अन्न का परम साधन तथा देवताओं का उत्तम घृत हैं।

पावनं सर्वभूतानां क्षरन्ति च वहन्ति च।

हविषा मन्त्रपूतेन तर्पयन्त्यमरान् दिवि॥

गौएँ समस्त प्राणियों को पवित्र करने वाला दुग्ध देती हैं और गोवत्स भार वहन करते हैं। गौएँ स्वर्ग में ऋषियों के मन्त्रपूत घृत से देवताओं को तृप्त करती हैं।

ऋषीणामग्निहोत्रेषु गावो होमेषु योजिताः।

सर्वेषामेव भूतानां गावः शरणमुत्तमम्॥

अतः गौएँ हवन में प्रतिष्ठित हैं। गौएँ समस्त जीवों की उत्तम शरण (आश्रय) हैं।

गावः पवित्रं परमं गावो माङ्गल्यमुत्तमम्।

गावः स्वर्गस्य सोपानं गावो धन्याः सनातनाः॥

गौएँ परम पवित्र और मंगलदायिनी हैं। गौएँ स्वर्ग की सीढ़ी हैं और गौएँ धन्य तथा सत्य-सनातन हैं।