Krishna Janmashtami Wishes | कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

Makhan chor Balgopal

जैसा कि आपको विदित है, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान् श्री कृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में मनाई जाती है।

हिंदी और अंगेजी अर्थ के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की संस्कृत शुभकामनाएँ हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं। आप इन्हें अपने प्रिय जनों के साथ अवश्य साझा करें। जय जय श्री राधे कृष्ण!

Shri Krishna Janmashtami is celebrated as the incarnation day of Lord Shri Krishna. We celebrate Shri Krishna Janmashtami on the eighth day (ashtami tithi) of the Krishna paksha (dark fortnight) of the month of Bhadrapada (August-September).

We present Shri Krishna Janmashtami wishes in Sanskrit with Hindi and English meanings. Please do share with your loved ones. Jai Jai Shri Radhe Krishna!

भगवतः कृष्णस्य जन्मस्य शुभे अवसरे हार्दिक्यः शुभकामनाः!

भगवान कृष्ण के जन्म के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

Warm greetings on the auspicious occasion of the birth of Lord Krishna!

कर्षति आकर्षति इति कृष्णः।

खींचता है, आकर्षित करता है, वह श्रीकृष्ण है।

The One who pulls or attracts is Krishna.

कृष्णात् परं किमपि तत्त्वमहं न जाने।

भगवान श्रीकृष्ण को छोड़कर अन्य किसी भी तत्त्व को मैं नहीं जानता/जानती।

I do not know any other essence except Lord Krishna.

अस्मिन् अवसरे अहं प्रार्थयामि यत् भगवतः कृष्णस्य आशीर्वादः भवतः समीपे भवतु, भवतः जीवनं सुखशान्तिसमृद्धिभिः परिपूर्णं भवतु च। कृष्णजन्माष्टम्याः हार्दिक्यः शुभकामनाः!     (स्त्री. – भवतः -> भवत्याः)

इस अवसर पर मैं प्रार्थना करता/करती हूं कि भगवान कृष्ण की कृपा आप पर बनी रहे और आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरपूर रहे। कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

On this occasion, I pray that the blessings of Lord Krishna be with you and that your life be filled with happiness, peace and prosperity. Happy Krishna Janmashtami!

भगवान् कृष्णः भवन्तं भवतः कुटुम्बं च प्रीणातु।

कृष्णजन्माष्टम्याः अवसरे भवतः कुटुम्बस्य च कृते अहम् आनन्दं सौहार्दं समृद्धिं च कान्क्ष्ये।    (स्त्री. – भवन्तं -> भवतीं, भवतः -> भवत्याः)

भगवान कृष्ण आप और आपके परिवार पर अपनी कृपा बनाये रखें। मैं आपके और आपके परिवार के लिए कृष्णजन्माष्टमी पर खुशी, सद्भाव और समृद्धि की कामना करता/करती हूँ।

May Lord Krishna shower his blessings on you and your family. I wish joy, harmony and prosperity on Krishna Janmashtami for you and your family.

दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम्।

 नंदकुमार को प्रतिदिन नये-नये रूप में मेरा प्रणाम।

My salutations to Nandkumar in newer ways every day.

करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् ।

वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥

जो अपने कमल जैसे हाथ से अपने कमल जैसे पैर के अंगूठे को अपने कमल जैसे मुँह में रखकर बरगद के पेड़ के पत्ते पर सो रहा है, उस बाल मुकुन्द (कृष्ण) का मैं अपने हृदय में ध्यान करता/करती हूँ ।

I meditate on that baby Mukunda (Krishna) in my heart who is sleeping on the leaf of a banyan tree with his lotus like foot (toe) placed in his lotus like mouth with his lotus like hand.

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥

हे कृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा, शरण में आये हुए के कष्ट दूर करने वाले, गोविन्द, आपको मेरा बारम्बार नमन है।

O Krishna, Vasudeva, Hari, Supreme Being, the remover of refugees’ troubles, Govinda, my salutations to you. 

मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिम् ।

यत् कृपा तमहं वन्दे परमानन्दं माधवम्

मैं उन परमानन्द माधव (श्रीकृष्ण) की वंदना करता/करती हूँ, जिनकी कृपा से गूंगे धाराप्रवाह बोलने लगते हैं और लंगड़े पहाड़ लाँघ जाते हैं।

I salute that Supreme Bliss, Madhava (Krishna), whose grace makes the dumb speak eloquently and the lame cross mountains. 

भजे व्रजैक मण्डनम्, समस्त पाप खण्डनम्, स्वभक्त चित्त रञ्जनम्, सदैव नन्द नन्दनम्,

सुपिन्छ गुच्छ मस्तकम्, सुनाद वेणु हस्तकम्, अनङ्ग रङ्ग सागरम्, नमामि कृष्ण नागरम् ॥

जो व्रजभूमि के आभूषण हैं, जो संपूर्ण पापों का नाश कर देते हैं, जो अपने भक्तों के मन को प्रसन्न करते हैं, और जो नंद के पुत्र हैं, उनको मैं भजता/भजती हूँ। उन ज्ञानेश्वर भगवान श्री कृष्ण को नमस्कार है, जिनका सिर मोरपंखों से सुशोभित है, जिनके हाथ में मधुर ध्वनि वाली बांसुरी है, और जो प्रेम के सागर का संगीत हैं।

I pray to Him, who is the ornament to the land of Vraja, who cuts off entire sins, who pleases the mind of his devotees, and who is Nanda’s son. Salutations to the wise Lord Krishna whose head is adoened with peacock feathers, who has the sweet sounding flute in his hand, and who is the music of the ocean of love.

वसुदेव सुतं देवं कंसचाणूर मर्दनम् ।

देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥

वसुदेव के पुत्र, देवकी माता को परमानंद देनेवाले, कंस एवं चाणूर का मर्दन करनेवाले और संपूर्ण जगत के गुरु,भगवान श्रीकृष्ण को मेरा नमन है।

My salutations to Lord Shri Krishna, the Guru of the entire world and the son of Vasudeva, who killed Kansa and Chanur and is the source of ecstasy to Mother Devaki.

ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः।

अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम् ॥

भगवान् कृष्ण सच्चिदानन्द स्वरुप परमेश्वर हैं। उनका कोई आदि नहीं है क्योंकि वे सबके आदि हैं। भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं।

Lord Krishna who is known as Govinda is the Supreme God. He has an eternal, blissful, spiritual form. He is the origin of all. He has no other origin and He is the prime cause of all causes.

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्

आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी ऑंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है और आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।

Your lips are sweet, your face is sweet, your eyes are sweet, your smile is sweet, your heart is sweet and your gait (walk) is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.

एक श्लोकी भागवत – आदौ देवकी देवगर्भ जननं

आदौ देवकी देवगर्भ जननं गोपीगृहे वर्धनम्

मायापूतन जीवितापहरणं गोवधर्नोद्धारणम् ।

कंसच्छेदन कौरवादि हननं कुन्तीतनूजावनम्

एतद्भागवतं पुराणकथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम् ॥

आरम्भ में, देवकी से जन्म लेना, गोपियों के घर में पलना, पूतना के प्राण हरना, गोवर्धन पर्वत उठाना, कंस का वध करना, कौरवों का विनाश करना, कुंती के पुत्रों की रक्षा करना – यह श्रीकृष्ण के मनोहर लीलाओं का अमृत है जो भागवत पुराण में वर्णित है।

Commencing with birth from Devaki, growing up in the Gopis’ houses, taking away Pootana’s life, lifting the Govardhana mountain, killing Kansa, annihilating the Kauravas, and protecting Kunti’s sons. This is the nectar of Sri Krishna’s divine acts as mentioned in the Bhagavata Purana.

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