अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 1 ॥
आपके होंठ मधुर हैं, आपका मुख मधुर है, आपकी ऑंखें मधुर हैं, आपकी मुस्कान मधुर है, आपका हृदय मधुर है और आपकी चाल मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your lips are sweet, your face is sweet, your eyes are sweet, your smile is sweet, your heart is sweet and your gait (walk) is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम् ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 2 ॥
आपका बोलना मधुर है, आपके चरित्र मधुर हैं, आपके वस्त्र मधुर हैं, आपका तिरछा खड़ा होना मधुर है, आपका चलना मधुर है और आपका घूमना मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your words are sweet, your character is sweet, your dress is sweet, your posture is sweet, your movement is sweet and your roaming is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 3 ॥
आपका बांसुरी-वादन मधुर है, आपके चरण-रज मधुर हैं, आपके हाथ मधुर हैं, आपके चरण मधुर हैं, आपका नृत्य मधुर है और आपकी मित्रता मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your flute (playing) is sweet, your foot-dust is sweet, your hands are sweet, your feet are sweet, your dance is sweet and your friendship is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 4 ॥
आपके गीत मधुर हैं, आपका पीना मधुर है, आपका खाना मधुर है, आपका सोना मधुर है, आपका रूप मधुर है और आपका तिलक मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your songs are sweet, your drinking is sweet, your eating is sweet, your sleeping is sweet, your form is sweet and your tilaka (mark on forehead) is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 5 ॥
आपके कार्य मधुर हैं, आपका तैरना मधुर है, आपका चोरी करना मधुर है, आपका प्रेम करना मधुर है, आपका उल्लास में रहना मधुर है और आपका शांत रहना मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your activities are sweet, your swimming is sweet, your stealing is sweet, your divine love play is sweet, your exuberance is sweet and your calmness is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 6 ॥
आपकी घुंघची (गुंजा) की माला मधुर है, आपकी फूलों की माला मधुर है, आपकी यमुना मधुर है, उसकी लहरें मधुर हैं, उसका पानी मधुर है और कमल मधुर हैं। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your gunja-berry necklace is sweet, your flower garland is sweet. River Yamuna is sweet, her waves are sweet, her water is sweet and the lotus flowers are sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 7 ॥
आपकी गोपियाँ मधुर हैं, आपकी लीला मधुर है, आप उनके साथ मधुर हैं, आप उनके बिना मधुर हैं, आपका देखना मधुर है और आपकी शिष्टता मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your gopis (cowherd girls) are sweet, your divine play is sweet, you are sweet when together with them, you are sweet when separated from them, your glance is sweet and your etiquette is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ॥ 8 ॥
आपके गोप मधुर हैं, आपकी गायें मधुर हैं, आपकी छड़ी मधुर है, आपकी सृष्टि मधुर है, आपका विनाश करना मधुर है और आपका वर देना मधुर है। हे मधुरता के स्वामी, श्रीकृष्ण! आपका सब कुछ मधुर है।
Your gopas (cowherd boys) are sweet, your cows are sweet, your herding-stick is sweet, your creation is sweet, your crushing is sweet and your blessing is sweet. O Lord of sweetness, Krishna! Everything about you is so sweet.
॥ इति श्रीमद्वल्लभाचार्य विरचितं मधुराष्टकं संपूर्णम् ॥
इस प्रकार श्रीमद वल्लभाचार्य द्वारा रचित मधुराष्टकं पूरा होता है।
Thus ends the Madhurashtakam composed by Srimad Vallabhacharya.
पंडित जसराज जी ने इसे बड़ी सुंदरता से गाया है। आप चाहें तो यहाँ सुन सकते हैं।
Pandit Jasraj has sung this very beautifully. You can listen here if you like.