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Toggleनाम रामायणम् हिंदी अर्थ सहित
नाम रामायणम् संस्कृत में ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित महाकाव्य रामायण का संक्षिप्त संस्करण है। श्री लक्ष्मणाचार्य ने इसकी रचना की थी। नाम रामायणम् में 108 श्लोक हैं, और रामायण के ही समान नाम रामायणम् के भी सात अध्याय हैं, जो क्रमशः बालकाण्ड, अयोध्याकांड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड, युद्धकांड और उत्तरकाण्ड में विभाजित हैं।
॥नाम रामायणम्॥
॥बालकाण्डः॥
शुद्धब्रह्मपरात्पर राम्॥१॥
श्रीराम शुद्ध ब्रह्म हैं और परे (श्रेष्ठ) से भी परे (श्रेष्ठ) हैं।
कालात्मकपरमेश्वर राम्॥२॥
श्रीराम काल (समय) के स्वामी और परम ईश्वर हैं।
शेषतल्पसुखनिद्रित राम्॥३॥
श्रीराम (भगवान विष्णु के रूप में) शेष नाग की शय्या पर आनंदपूर्वक सोते हैं।
ब्रह्माद्यामरप्रार्थित राम्॥४॥
ब्रह्मा आदि देवताओं द्वारा श्रीराम से (मानव रूप में अवतार लेकर रावण को समाप्त करने की) प्रार्थना की गयी थी।
चण्डकिरणकुलमण्डन राम्॥५॥
श्रीराम ने सूर्य वंश को सुशोभित किया।
श्रीमद्दशरथनन्दन राम्॥६॥
श्रीराम पूजनीय दशरथ के पुत्र थे।
कौसल्यासुखवर्धन राम्॥७॥
श्रीराम ने कौशल्या को बहुत प्रसन्नता दी।
विश्वामित्रप्रियधन राम्॥८॥
श्रीराम ऋषि विश्वामित्र को एक बहुमूल्य खजाने की तरह प्रिय थे।
घोरताटकाघातक राम्॥९॥
श्रीराम ने भयानक राक्षसी ताटका (ताड़का) का वध किया।
मारीचादिनिपातक राम्॥१०॥
श्रीराम ने मारीच आदि राक्षसों का वध किया।
कौशिकमखसंरक्षक राम्॥११॥
श्रीराम ने ऋषि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की।
श्रीमदहल्योद्धारक राम्॥१२॥
श्रीराम ने अहल्या का उद्धार किया।
गौतममुनिसम्पूजित राम्॥१३॥
गौतम मुनि ने श्रीराम की पूजा की ।
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम्॥१४॥
देवताओं और श्रेष्ठ मुनियों ने श्रीराम की स्तुति की।
नाविकधावितमृदुपद राम्॥१५॥
नाविक (केवट) ने श्रीराम के कोमल चरण पखारे (धोये)।
मिथिलापुरजनमोहक राम्॥१६॥
श्रीराम ने मिथिला वासियों का मन मोह लिया।
विदेहमानसरञ्जक राम्॥१७॥
श्रीराम ने राजा विदेह (जनक) का सम्मान रखा।
त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम्॥१८॥
श्रीराम ने त्रिनेत्री शिवजी का धनुष तोड़ा।
सीतार्पितवरमालिक राम्॥१९॥
सीताजी ने श्रीराम को (स्वयंवर की) वरमाला पहनायी।
कृतवैवाहिककौतुक राम्॥२०॥
श्रीराम का विवाह-उत्सव सम्पन्न हुआ।
भार्गवदर्पविनाशक राम्॥२१॥
श्रीराम ने श्री परशुराम का अहंकार नष्ट किया।
श्रीमदयोध्यापालक राम्॥२२॥
श्रीराम अयोध्यावासियों का ध्यान रखते थे।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥अयोध्याकाण्डः॥
अगणितगुणगणभूषित राम्॥२३॥
श्रीराम असंख्य गुणों से विभूषित हैं।
अवनीतनयाकामित राम्॥२४॥
श्रीराम धरती की पुत्री सीताजी के प्रियतम हैं।
राकाचन्द्रसमानन राम्॥२५॥
श्रीराम का मुख पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान है।
पितृवाक्याश्रितकानन राम्॥२६॥
श्रीराम पिता की आज्ञा मानकर वन को गए।
प्रियगुहविनिवेदितपद राम्॥२७॥
प्रिय गुह (निषादराज) ने स्वयं को श्रीराम के चरणों में समर्पित कर दिया।
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम्॥२८॥
उसने श्रीराम के कोमल चरण धोए।
भरद्वाजमुखानन्दक राम्॥२९॥
श्रीराम को देखकर भारद्वाज ऋषि का मुख आनंद से खिल उठा।
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम्॥३०॥
श्रीराम ने चित्रकूट पर्वत को अपना निवास स्थान बनाया।
दशरथसन्ततचिन्तित राम्॥३१॥
श्रीराम ने निरंतर पिता दशरथ का चिंतन किया।
कैकेयीतनयार्थित राम्॥३२॥
कैकेयी पुत्र भरत ने श्रीराम से (अयोध्या लौट चलने की) प्रार्थना की।
विरचितनिजपितृकर्मक राम्॥३३॥
श्रीराम ने अपने पिता का श्राद्ध-कर्म किया।
भरतार्पितनिजपादुक राम्॥३४॥
श्रीराम ने अपनी चरण-पादुका भरत को दी।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥अरण्यकाण्डः॥
दण्डकवनजनपावन राम्॥३५॥
श्रीराम ने अपनी उपस्थिति से दंडकारण्य वन और वहाँ रहने वाले लोगों को पावन किया।
दुष्टविराधविनाशन राम्॥३६॥
श्रीराम ने दुष्ट राक्षस विराध का वध किया।
शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम्॥३७॥
ऋषि शरभंग एवं ऋषि सुतीक्ष्ण ने श्रीराम की अर्चना की।
अगस्त्यानुग्रहवर्धित राम्॥३८॥
महर्षि अगस्त्य ने श्रीराम को आशीर्वाद दिया।
गृध्राधिपसंसेवित राम्॥३९॥
गीधराज जटायु ने श्रीराम की सेवा की।
पञ्चवटीतटसुस्थित राम्॥४०॥
श्रीराम ने पंचवटी में नदी के किनारे निवास किया।
शूर्पणखार्तिविधायक राम्॥४१॥
श्रीराम ने शूर्पणखा को उसकी अपवित्र भावनाओं के लिए दण्डित किया।
खरदूषणमुखसूदक राम्॥४२॥
श्रीराम ने खर एवं दूषण राक्षसों मार गिराया।
सीताप्रियहरिणानुग राम्॥४३॥
श्रीराम सीताजी द्वारा वांछित हिरण के पीछे भागे।
मारीचार्तिकृदाशुग राम्॥४४॥
श्रीराम ने मारीच (कपटी हिरण) पर बाण छोड़े।
विनष्टसीतान्वेषक राम्॥४५॥
श्रीराम ने खोयी हुई सीता की बहुत तत्परता से खोज की।
गृध्राधिपगतिदायक राम्॥४६॥
श्रीराम ने गीधराज जटायु को परम गति प्रदान की।
शबरीदत्तफलाशन राम्॥४७॥
श्रीराम ने शबरी द्वारा निवेदित फल खाया।
कबन्धबाहुच्छेदक राम्॥४८॥
श्रीराम ने कबंध की भुजाएं काट दीं।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥किष्किन्धाकाण्डः॥
हनुमत्सेवितनिजपद राम्॥४९॥
हनुमान जी ने श्रीराम की चरण-सेवा की।
नतसुग्रीवाभीष्टद राम्॥५०॥
श्रीराम ने समर्पण में नतमस्तक हुए सुग्रीव की मनोकामना पूरी की।
गर्वितवालिसंहारक राम्॥५१॥
श्रीराम ने वानरों के अहंकारी राजा बाली का वध किया।
वानरदूतप्रेषक राम्॥५२॥
श्रीराम ने एक वानर को दूत के रूप में (रावण के पास) भेजा।
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम्॥५३॥
श्रीराम सदैव सेवानिष्ठ लक्ष्मण के साथ एकजुट रहे।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥सुन्दरकाण्डः॥
कपिवरसन्ततसंस्मृत राम्॥५४॥
कपिश्रेष्ठ हनुमान श्रीराम को निरंतर स्मरण करते रहे।
तद्गतिविघ्नध्वंसक राम्॥५५॥
श्रीराम ने हनुमान की गति में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया।
सीताप्राणाधारक राम्॥५६॥
सीता जी श्रीराम के आधार पर अपने प्राण रखने में सक्षम थीं।
दुष्टदशाननदूषित राम्॥५७॥
श्रीराम ने दशानन रावण की भर्त्सना की।
शिष्टहनूमद्भूषित राम्॥५८॥
श्रीराम ने बुद्धिमान और व्यवहार कुशल हनुमान की प्रशंसा की।
सीतावेदितकाकावन राम्॥५९॥
हनुमान जी ने श्रीराम को जंगल में घटी काकासुर घटना (जो उन्होंने देवी सीता से सुनी थी) सुनाई।
कृतचूडामणिदर्शन राम्॥६०॥
श्रीराम ने देवी सीता की चूड़ामणि देखी जो हनुमान जी लेकर आये थे।
कपिवरवचनाश्वासित राम्॥६१॥
कपिश्रेष्ठ हनुमान के शब्दों से श्रीराम आश्वस्त हुए।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥युद्धकाण्डः॥
रावणनिधनप्रस्थित राम्॥६२॥
श्रीराम रावण का वध करने निकले।
वानरसैन्यसमावृत राम्॥६३॥
श्रीराम वानर सेना के बीच थे।
शोषितसरिदीशार्थित राम्॥६४॥
श्रीराम ने सागर राज को सोख लेने का भय दिखाया।
विभीषणाभयदायक राम्॥६५॥
श्रीराम ने शरण में आये हुए विभीषण को अभय दान दिया।
पर्वतसेतुनिबन्धक राम्॥६६॥
श्रीराम ने पत्थरों को जोड़कर समुद्र पर पुल बनाया।
कुम्भकर्णशिरच्छेदक राम्॥६७॥
युद्ध में श्रीराम ने कुम्भकर्ण का सिर काट दिया।
राक्षससङ्घविमर्दक राम्॥६८॥
युद्ध में श्रीराम ने राक्षसों की सेना को कुचल दिया।
अहिमहिरावणचारण राम्॥६९॥
श्रीराम ने (हनुमान के माध्यम से) अहिरावण का विनाश किया जिसने उन्हें पाताल लोक में फंसा दिया था।
संहृतदशमुखरावण राम्॥७०॥
श्रीराम ने दस मुखों वाले रावण का संहार किया।
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम्॥७१॥
ब्रह्मा, शिव और अन्य देवताओं ने श्रीराम की स्तुति की।
खस्थितदशरथवीक्षित राम्॥७२॥
दशरथ ने स्वर्ग से श्रीराम को देखा।
सीतादर्शनमोदित राम्॥७३॥
सीता जी को देखकर श्रीराम प्रसन्न हुए।
अभिषिक्तविभीषणनत राम्॥७४॥
श्रीराम ने विभीषण का राज्याभिषेक किया जिन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था और उन्हें प्रणाम किया था।
पुष्पकयानारोहण राम्॥७५॥
श्रीराम अयोध्या लौटने के लिए पुष्पक विमान पर चढ़े।
भरद्वाजादिनिषेवण राम्॥७६॥
श्रीराम भरद्बाज आदि ऋषियों से मिले।
भरतप्राणप्रियकर राम्॥७७॥
श्रीराम अयोध्या से लौटने पर भरत के जीवन में खुशियाँ लेकर आये।
साकेतपुरीभूषण राम्॥७८॥
श्रीराम अयोध्यापुरी की शोभा बने।
सकलस्वीयसमानत राम्॥७९॥
श्रीराम ने अपनी प्रजा के साथ एक समान व्यवहार किया।
रत्नलसत्पीठास्थित राम्॥८०॥
श्रीराम रत्न-जड़ित सिंहासन पर बैठे।
पट्टाभिषेकालङ्कृत राम्॥८१॥
राजतिलक के समय श्रीराम राजमुकुट आदि से अलंकृत हुए।
पार्थिवकुलसम्मानित राम्॥८२॥
श्रीराम राजाओं की सभा में सम्मानित हुए।
विभीषणार्पितरङ्गक राम्॥८३॥
श्रीराम ने विभीषण जी को श्री रंगनाथ का विग्रह प्रदान किया।
कीशकुलानुग्रहकर राम्॥८४॥
श्रीराम ने सूर्यवंश पर अपनी कृपा की।
सकलजीवसंरक्षक राम्॥८५॥
श्रीराम सभी जीवों के संरक्षक हैं।
समस्तलोकाधारक राम्॥८६॥
श्रीराम सभी व्यक्तियों एवं सभी लोकों के आधार हैं।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥उत्तरकाण्डः॥
आगतमुनिगणसंस्तुत राम्॥८७॥
पधारे हुए मुनियों ने श्रीराम की स्तुति की।
विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम्॥८८॥
श्रीराम ने दसमुख रावण के बारे में सुना।
सीतालिङ्गननिर्वृत राम्॥८९॥
श्रीराम ने देवी सीता के आलिंगन में सुख पाया।
नीतिसुरक्षितजनपद राम्॥९०॥
श्रीराम ने अपने राज्य को नीति (धर्म) द्वारा सुरक्षित रखा।
विपिनत्याजितजनकजा राम्॥९१॥
श्रीराम ने देवी जानकी को वन में त्याग दिया।
कारितलवणासुरवध राम्॥९२॥
श्रीराम ने (भाई शत्रुघ्न द्वारा) लवणासुर का वध करवाया।
स्वर्गतशम्बुकसंस्तुत राम्॥९३॥
स्वर्ग गए हुए शम्बुक ने श्रीराम की स्तुति की।
स्वतनयकुशलवनन्दित राम्॥९४॥
श्रीराम ने अपने पुत्र लव और कुश को आनंदित किया।
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम्॥९५॥
श्री राम अश्वमेध यज्ञ के लिए दीक्षित हुए।
कालावेदितसुरपद राम्॥९६॥
(लीला-संवरण के समय) श्री राम को काल ने उनकी दिव्य स्थिति से अवगत कराया।
आयोध्यकजनमुक्तिद राम्॥९७॥
श्रीराम ने अयोध्यावासियों को मुक्ति प्रदान की।
विधिमुखविबुधानन्दक राम्॥९८॥
श्रीराम ने ब्रह्मा और अन्य देवताओं के मुख प्रसन्नता से खिला दिए।
तेजोमयनिजरूपक राम्॥९९॥
(लीला-संवरण के समय) श्रीराम ने अपना तेजोमय स्वरुप धारण किया।
संसृतिबन्धविमोचक राम्॥१००॥
श्रीराम भव-बंधन (पुनर्जन्म) से मुक्त करते हैं।
धर्मस्थापनतत्पर राम्॥१०१॥
श्रीराम धर्म-स्थापना के कार्य में तत्पर रहते हैं।
भक्तिपरायणमुक्तिद राम्॥१०२॥
श्रीराम भक्तिपरायण व्यक्ति को मुक्ति प्रदान करते हैं।
सर्वचराचरपालक राम्॥१०३॥
श्रीराम समस्त चराचर जगत के पालन कर्ता हैं।
सर्वभवामयवारक राम्॥१०४॥
श्रीराम समस्त भव-रोगों का निवारण कर देते हैं।
वैकुण्ठालयसंस्थित राम्॥१०५॥
श्रीराम वैकुण्ठ धाम में रहते हैं।
नित्यानन्दपदस्थित राम्॥१०६॥
श्रीराम नित्य-आनंद की स्थिति में स्थित रहते हैं।
राम् राम् जय राजा राम्॥१०७॥
हे राम, श्रीराम, राजा राम की जय हो।
राम् राम् जय सीता राम्॥१०८॥
हे राम, श्रीराम, सीता राम की जय हो।
राम् राम् जय राजा राम्।राम् राम् जय सीता राम्॥
॥ इति श्रीलक्ष्मणाचार्यविरचितं नामरामायणं सम्पूर्णम् ॥
इस प्रकार श्री लक्ष्मणाचार्य द्वारा रचित नाम रामायण पूरा होता है।
Naam Ramayanam with English meaning
Naam Ramayanam in English
The Naam Ramayanam is an abridged version of the epic Ramayana written by the sage Valmiki in Sanskrit. It was composed by Shri Lakshmanacharya. There are 108 verses in the Naam Ramayanam, and similar to the Ramayana, the Naam Ramayanam also has seven chapters, which are divided into Balakand, Ayodhyakand, Kishkindhakand, Sunderkand, Yudhkand and Uttarkand respectively.
॥ Balakandah॥
Shuddha-brahma-paratpara Ram॥1॥
Lord Rama is Pure Brahman and is Superior to the Best.
Kal-atmaka-parameshwara Ram॥2॥
Lord Rama is the Master of time and the Supreme Lord.
Shesha-talpa-sukha-nidrita Ram॥3॥
Lord Rama sleeps blissfully on the bed of the serpent Sesha Naga (as Lord Vishnu).
Brahmady-amara-prarthita Ram॥4॥
Lord Rama was requested by Brahma and other deities (to incarnate as a human to eliminate Ravana).
Chanda-kirana-kula-mandana Ram॥5॥
Lord Rama adorned the dynasty of the Sun (Surya Vamsha).
Shrimad-dasharatha-nandana Ram॥6॥
Lord Rama was the venerable son of King Dasharatha.
Kausalya-sukha-vardhana Ram॥7॥
Lord Rama brought great joy to Kaushalya.
Vishwamitra-priya-dhana Ram॥8॥
Lord Rama was dear to Sage Vishvamitra like a valuable treasure.
Ghora-tataka-ghataka Ram॥9॥
Lord Rama was the slayer of the terrible demoness Tataka.
Marichadinipataka Ram॥10॥
Lord Rama killed Maricha and other daemons.
Kaushikamakhasamrakshaka Ram॥11॥
Lord Rama protected the yagna (sacrificial fire) of Sage Vishvamitra.
Shrimadahalyoddharaka Ram॥12॥
Lord Rama salvaged Ahalya.
Gautamamunisampujita Ram॥13॥
Lord Rama was worshipped by Gautam Muni.
Suramuniwaraganasamstuta Ram॥14॥
Lord Rama was praised by deities and the great sages.
Navikadhavitamridupada Ram॥15॥
The boatman washed Lord Rama’s gentle feet.
Mithilapurajanamohaka Ram॥16॥
Lord Rama enchanted the people of Mithila.
Videhamanasaranjaka Ram॥17॥
Lord Rama kept the honour of King Videha (Janaka).
Tryambakakarmukabhanjaka Ram॥18॥
Lord Rama broke the bow of the three-eyed Shiva.
Sitarpitawaramalika Ram॥19॥
Sita ji offered the garland to Lord Rama during the bridegroom selection (swayamvara) ceremony.
Kritavaivahikakautuka Ram॥20॥
Lord Rama’s marriage ceremony was completed.
Bhargavadarpavinashaka Ram॥21॥
Lord Rama destroyed Sri Parshurama’s ego.
Shrimadayodhyapalaka Ram॥22॥
Lord Rama took care of the people of Ayodhya.
॥Ayodhyakandah॥
Aganitagunaganabhushita Ram॥23॥
Lord Rama is adorned with innumerable virtues.
Avanitanayakamita Ram॥24॥
Lord Rama is the beloved of the daughter of the Earth (Sita ji).
Rakachandrasamanana Ram॥25॥
Lord Rama’s face is like the full moon.
Pitrivakyashritakanana Ram॥26॥
Lord Rama went to the forest following the words of his father.
Priyaguhaviniveditapada Ram॥27॥
Dear Guha offered himself to the feet of Lord Rama.
Tatkshalitanijamridupada Ram॥28॥
Lord Rama got his gentle feet washed by him.
Bharadwajamukhanandaka Ram॥29॥
Lord Rama made the face of Sage Bharadwaja shine with joy.
Chitrakutadriniketana Ram॥30॥
Lord Rama made the Chitrakoota mountain his residence.
Dasharathasantatachintita Ram॥31॥
Lord Rama continually thought of his father Dasharatha.
Kaikeyitanayarthita Ram॥32॥
Lord Rama was requested by Kaikeyi’s son Bharata (to return to the kingdom).
Virachitanijapitrikarmaka Ram॥33॥
Lord Rama performed the last rites of his father.
Bharatarpitanijapaduka Ram॥34॥
Lord Rama gave his paduka (wooden sandal) to Bharat.
॥Aranyakandah॥
Dandakavanajanapavana Ram॥35॥
Lord Rama purified the Dandakaranya forest and the people living there by his presence.
Dushtaviradhavinashana Ram॥36॥
Lord Rama killed the wicked demon Viradha.
Sharabhangasutikshnarchita Ram॥37॥
Lord Rama was worshipped by Sage Sharbhanga and Sage Suteekshana.
Agastyanugrahavardhita Ram॥38॥
Lord Rama got blessed by Sage Agastya.
Gridhradhipasamsevita Ram॥39॥
Jatayu, the king of vultures, served Lord Rama.
Panchawatitatasusthita Ram॥40॥
Lord Rama stayed by the riverside at Panchvati.
Shurpanakhartividhayaka Ram॥41॥
Lord Rama punished Surpanakha for her wicked intentions (through Lakshmana).
Kharadushanamukhasudaka Ram॥42॥
Lord Rama killed daemons Khara and Dushana.
Sitapriyaharinanuga Ram॥43॥
Lord Rama went after the deer wanted by Devi Sita.
Marichartikridashuga Ram॥44॥
Lord Rama hit Mareecha (the deceptive deer) with his arrow.
Vinashtasitanveshaka Ram॥45॥
Lord Rama searched for the lost Sita earnestly.
Gridhradhipagatidayaka Ram॥46॥
Lord Rama granted liberation to Jatayu, the king of vultures.
Shabaridattaphalashana Ram॥47॥
Lord Rama ate the fruit offered by Shabari.
Kabandhabahuchchhedaka Ram॥48॥
Lord Rama cut off the arms of Kabandha.
॥Kishkindhakandah॥
Hanumatsewitanijapada Ram॥49॥
Hanuman ji served Lord Rama’s feet.
Natasugrivabhishtada Ram॥50॥
Lord Rama granted the wish of Sugriva who bowed to him in surrender.
Garvitawalisamharaka Ram॥51॥
Lord Rama killed Vali, the proud king of monkeys.
Vanaradutapreshaka Ram॥52॥
Lord Rama sent a monkey as a messenger (to Ravana).
Hitakaralakshmanasamyuta Ram॥53॥
Lord Rama always stayed united with Lakshmana who served him earnestly.
॥Sunderkandah॥
Kapiwarasantatasamsmrita Ram॥54॥
Lord Rama was continually remembered by Hanuman, the most excellent among the monkeys.
Tadgativighnadhvamsaka Ram॥55॥
Lord Rama removed the obstacles to the movement of Hanuman.
Sitapranadharaka Ram॥56॥
Sita ji was able to keep herself alive based on Lord Rama’s support.
Dushtadashananadushita Ram॥57॥
Lord Rama condemned the ten-headed Ravana.
Shishtahanumadbhushita Ram॥58॥
Lord Rama adorned the wise and mannered Hanuman with praises.
Sitaveditakakavana Ram॥59॥
Hanuman ji narrated the Kakasura incident that occurred in the forest (which he had heard from Devi Sita) to Lord Rama.
Kritachudamanidarshana Ram॥60॥
Lord Rama saw the Chudamani (bangle) of Devi Sita that Hanuman ji had brought.
Kapiwaravachanashwasita Ram॥61॥
Lord Rama was assured by the words of Hanuman, the most excellent among the monkeys.
॥Yuddhakandah॥
Ravananidhanaprasthita Ram॥62॥
Lord Rama set out for killing Ravana.
Vanarasainyasamavrita Ram॥63॥
Lord Rama was surrounded by the army of monkeys.
Shoshitasaridisharthita Ram॥64॥
Lord Rama threatened the ocean king to dry him.
Vibhishanabhayadayaka Ram॥65॥
Lord Rama gave an assurance of fearlessness to Vibhishana when he took refuge.
Parvatasetunibandhaka Ram॥66॥
Lord Rama created a bridge across the sea by binding rocks.
Kumbhakarnashirachchhedaka Ram॥67॥
Lord Rama cut off Kumbhakarna’s head in the battle.
Rakshasasanghavimardaka Ram॥68॥
Lord Rama crushed the army of demons in the battle.
Ahimahiravanacharana Ram॥69॥
Lord Rama destroyed Ahiravana (through Hanuman) who had trapped him in Paatala Loka.
Samhritadashamukharavana Ram॥70॥
Lord Rama destroyed the ten-faced Ravana in the battle.
Vidhibhavamukhasurasamstuta Ram॥71॥
Lord Rama was praised by Brahma, Shiva and other deities.
Khasthitadasharathavikshita Ram॥72॥
Dasharatha saw Lord Rama from heaven.
Sitadarshanamodita Ram॥73॥
Lord Rama got delighted seeing Sita ji.
Abhishiktavibhishananata Ram॥74॥
Lord Rama coronated Vibhishana who had surrendered and bowed to him.
Pushpakayanarohana Ram॥75॥
Lord Rama ascended the Pushpaka Vimana for returning to Ayodhya.
Bharadwajadinishevana Ram॥76॥
Lord Rama visited Sage Bharadwaja and others.
Bharatapranapriyakara Ram॥77॥
Lord Rama brought joy to the life of Bharata (on his return from Lanka).
Saketapuribhushana Ram॥78॥
Lord Rama adorned the city of Ayodhya.
Sakalaswiyasamanata Ram॥79॥
Lord Rama treated all his people equally.
Ratnalasatpithasthita Ram॥80॥
Lord Rama sat on the throne studded with shining jewels.
Pattabhishekalankrita Ram॥81॥
Lord Rama was adorned with the royal crown during coronation.
Parthivakulasammanita Ram॥82॥
Lord Rama was honoured in the assembly of kings during his coronation.
Vibhishanarpitarangaka Ram॥83॥
Lord Rama offered the idol of Sri Ranganatha to Vibhishana.
Kishakulanugrahakara Ram॥84॥
Lord Rama showered his grace on the Sun dynasty.
Sakalajivasamrakshaka Ram॥85॥
Lord Rama is the guardian of all living beings.
Samastalokadharaka Ram॥86॥
Lord Rama is the supporter of all the people.
॥Uttarakandah॥
Agatamuniganasamstuta Ram॥87॥
Lord Rama was praised by all the visiting sages.
Vishrutadashakanthodbhava Ram॥88॥
Lord Rama heard the story of the ten-faced Ravana.
Sitalingananirvrita Ram॥89॥
Lord Rama was happy in the embrace of Devi Sita.
Nitisurakshitajanapada Ram॥90॥
Lord Rama protected his empire by moral precepts (Dharma).
Vipinatyajitajanakaja Ram॥91॥
Lord Rama abandoned Devi Sita in the forest.
Karitalavanasuravadha Ram॥92॥
Lord Rama caused the killing of demon Lavanasur (through brother Shatrughna).
Swargatashambukasamstuta Ram॥93॥
Lord Rama was praised by Shambuka who had gone to heaven.
Swatanayakushalavanandita Ram॥94॥
Lord Rama made his sons – Lava and Kusha – happy.
Ashwamedhakratudikshita Ram॥95॥
Lord Rama was initiated into the Ashvamedha Yagya.
Kalaveditasurapada Ram॥96॥
At his departure, Lord Rama was made to know his divine position by Kala (Time).
Ayodhyakajanamuktida Ram॥97॥
Lord Rama granted liberation to the people of Ayodhya.
Vidhimukhavibudhanandaka Ram॥98॥
Lord Rama made the faces of Brahma and other gods shine with joy.
Tejomayanijarupaka Ram॥99॥
Lord Rama assumed his own divine form shining with light (during his departure).
Samsritibandhavimochaka Ram॥100॥
Lord Rama releases one from the bondage of worldly attachments.
Dharmasthapanatatpara Ram॥101॥
Lord Rama is eager to establish Dharma (righteousness) in the world.
Bhaktiparayanamuktida Ram॥102॥
Lord Rama grants liberation to his sincere devotees.
Sarvacharacharapalaka Ram॥103॥
Lord Rama is the guardian of all moving and non-moving beings.
Sarvabhavamayavaraka Ram॥104॥
Lord Rama removes all diseases of worldly attachments.
Vaikunthalayasamsthita Ram॥105॥
Lord Rama stays in the abode of Vaikuntha.
Nityanandapadasthita Ram॥106॥
Lord Rama stays in the divine position of eternal bliss.
Ram Ram Jaya Raja Ram॥107॥
O Rama, Lord Rama, Victory to you King Rama.
Ram Ram Jaya Sita Ram॥108॥
O Rama, Lord Rama, Victory to you Sita Rama.
Thus ends the Naama Ramayanam composed by Shri Lakshmanacharya.