1. आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥
भावार्थ:- आपत्तियों को हरने वाले तथा सब प्रकार की सम्पत्ति प्रदान करने वाले सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर भगवान् राम को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ।
I repeatedly salute Lord Rama, the most handsome in all the worlds, who destroys all obstacles and bestows all kinds of wealth.
2. रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥
भावार्थ:- ‘राम’, ‘रामभद्र’, ‘रामचंद्र’ – इन नामों का स्मरण करने से मनुष्य पापों से लिप्त नहीं होता और भोग तथा मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
‘Ram’, ‘Rambhadra’, ‘Ramchandra’ – by remembering these names, one does not indulge in sins and attains enjoyment and salvation.
3. आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः॥
भावार्थ:- जो मानो कल्पवृक्ष के बगीचे हैं तथा समस्त आपत्तियों का अन्त करने वाले हैं, जो तीनों लोकों में परम सुन्दर हैं, वे श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं।
The one who is like the garden of Kalpavriksha (a heavenly tree fulfilling all desires) and the one who eliminates all the obstacles, who is the most handsome in all the three worlds, He is our Lord Shri Ram.
4. दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥
भावार्थ:- जिनकी दायीं और लक्ष्मणजी, बायीं और जानकीजी और सामने हनुमानजी विराजमान हैं, उन रघुनाथजी की मैं वन्दना करता हूँ।
I worship Raghunathji who has Laxman ji on his right, Janaki ji on his left and Hanumanji in front.
5. लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
भावार्थ:- जो सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रणक्रीड़ा में धीर, कमलनयन, रघुवंशनायक, करुणामूर्ति और करुणा के भण्डार हैं, उन श्रीरामचन्द्रजी की मैं शरण लेता हूँ।
I take refuge in Shri Ramchandra ji, who is the most handsome in all the worlds, brave in battle, lotus-eyed, lord of Raghuvamsha clan, and embodiment and storehouse of compassion.
6. भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्॥
भावार्थ:- ‘राम-राम’ ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसार-बंधन के बीजों को भून डालने वाला, समस्त सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति कराने वाला तथा यमदूतों को भयभीत करने वाला है।
Chanting ‘Rama-Rama’ roasts the seeds of the entire world (bondage), makes one attain all happiness and wealth and frightens the messengers of Yama (death).
7. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥
भावार्थ:- (श्री महादेवजी पार्वतीजी से कहते हैं -) हे सुमुखि! रामनाम विष्णु सहस्रनाम के बराबर है। मैं सर्वदा ‘राम, राम, राम’ इस प्रकार मनोरम रामनाम में ही रमण करता हूँ।
(Lord Mahadev says to Parvati ji -) Hey Sumukhi! The name ‘Rama’ is equivalent to Vishnu Sahasranama (thousand names of Lord Vishnu). I always rejoice in the captivating name of Rama like ‘Rama, Rama, Rama’.
8. रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥
भावार्थ:- राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधातृस्वरुप, रघुनाथ, प्रभु सीतापति को नमस्कार है।
Salutations to Ram, Rambhadra, Ramchandra, the Creator, Raghunath, Lord Sitapati.
9. श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥
भावार्थ:- हे रघुनन्दन श्रीराम! हे भरताग्रज भगवान् राम! हे रणधीर प्रभु राम! आप मेरे आश्रय होइए।
O Raghunandan Shri Rama! O Bharatagraj (Bharata’s elder brother) Lord Rama! Hey Brave in the battle Lord Rama! You are my refuge.
10. श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥
भावार्थ:- मैं श्रीरामचन्द्र के चरणों का मन से स्मरण करता हूँ, श्रीरामचन्द्र के चरणों का वाणी से कीर्तन करता हूँ, श्रीरामचन्द्र के चरणों को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ तथा श्रीरामचन्द्र के चरणों की शरण लेता हूँ।
I remember the feet of Shri Ramchandra with my mind, chant about the feet of Shri Ramchandra with my voice, bow my head at the feet of Shri Ramchandra and take shelter at the feet of Shri Ramchandra.
11. माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥
भावार्थ:- राम मेरी माता हैं, राम मेरे पिता हैं, राम स्वामी हैं और राम ही मेरे सखा हैं। दयामय रामचन्द्र ही मेरे सर्वस्व हैं, उनके सिवा और किसीको मैं नहीं जानता।
Ram is my mother, Ram is my father, Ram is my master and Ram is my friend. Merciful Ramchandra is everything to me, I don’t know anyone besides him.
12. चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥
भावार्थ:- श्री रघुनाथ जी के सौ करोड़ (एक अरब) चरित्र हैं। उनके चरित्र (लीला) का एक-एक अक्षर भी मनुष्यों के बड़े-से-बड़े पापों को नष्ट करने वाला है।
There are a biliion of divine acts of Lord Shri Rama. A single letter of His divine acts destroys great sins committed by human beings.
13. पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः॥
भावार्थ:- जो जीव पाताल, पृथ्वी अथवा आकाश में विचरते हैं और जो छद्मवेश से घूमते रहते हैं, वे राम नामों से सुरक्षित व्यक्ति को देख भी नहीं सकते।
The beings who roam in the world beneath, earth or sky and who keep roaming in disguise, cannot even see the person protected by the names of Lord Rama.
14. रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः॥
भावार्थ:- जो लोग दूर्वादल के समान श्यामवर्ण, कमलनयन पीताम्बरधारी भगवान् राम का उनके दिव्य नामों से स्तवन (स्तुति) करते हैं, वे संसारचक्र में नहीं पड़ते।
Those who praise Lord Rama, who has a grass-like complexion, has lotus eyes and is wearing yellow dress, by his divine names, do not fall into the worldly cycle.
15. रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्॥
भावार्थ:- लक्ष्मणजी के पूर्वज, रघुकुल में श्रेष्ठ, सीताजी के स्वामी, अतिसुन्दर, ककुत्स्थ कुलनन्दन, करुणासागर, गुणनिधान, ब्राह्मणभक्त, परम धार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथपुत्र, श्याम और शान्तमूर्ति, सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रघुकुलतिलक, राघव और रावणारि (रावण के शत्रु) भगवान् राम की मैं वन्दना करता हूँ।
I worship Lord Raghava, who is Lakshmanji’s elder, best among Raghu clan, Sita ji’s husband, very handsome, belonging to Kakutstha clan, ocean of compassion, virtuous, devotee of Brahmin, supremely righteous, king of kings, truthful, Dashratha’s son, dark-complexioned, embodiment of peace, handsome in all the worlds, chief of Raghu clan, and Ravana’s enemy.