Shri Sita Stuti by Hanuman ji | हनुमान जी द्वारा माँ सीता की स्तुति

(स्कन्द पुराण – ब्राह्मखण्ड – सेतु-माहात्म्य )

जानकि त्वाम् नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम्।

दारिद्र्यरणसन्हर्त्री भक्तानामिष्टदायिनीम्॥

जनकनन्दिनी! आपको नमस्कार करता हूँ। आप सब पापों का नाश तथा दारिद्र्य का संहार करने वाली हैं। भक्तों को अभीष्ट वस्तु देनेवाली भी आप ही हैं।

विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम।

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम्॥

राघवेन्द्र श्रीराम को आनन्द प्रदान करने वाली, विदेहराज जनक की लाड़ली श्रीकिशोरीजी को मैं प्रणाम करता हूँ। आप पृथ्वी की कन्या और विद्या हैं, कल्याणमय प्रकृति भी आप ही हैं।

पौलस्त्यैश्वर्यसन्हर्त्री भक्ताभीष्टाम् सरस्वतीम्।

पतिव्रताधुरीणां त्वाम् नमामि जनकात्मजां॥

रावण के ऐश्वर्य का संहार तथा भक्तों के अभीष्ट का दान करनेवाली सरस्वती रूपा भगवती सीता को मैं नमस्कार करता हूँ। पतिव्रताओं में अग्रगण्य आप श्रीजनकदुलारी को मैं प्रणाम करता हूँ।

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम।

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहं॥

आप सबपर अनुग्रह करनेवाली समृद्धि, पापरहित और श्रीविष्णुप्रिया लक्ष्मी हैं। आप ही आत्मविद्या, वेदत्रयी तथा पार्वतीरूपा हैं, आपको मैं नमस्कार करता हूँ।

प्रसादाभिमुखीम् लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभां।

नमामि चन्द्रभगिनीम् सीताम् सर्वाङ्गसुन्दरीम्॥

आप ही क्षीरसागर की कन्या और चन्द्रमा की भगिनी (बहन) कल्याणमयी महालक्ष्मी हैं, जो भक्तों पर कृपा का प्रसाद करने के लिए सदा उत्सुक रहती हैं, आप सर्वांगसुन्दरी सीता को मैं प्रणाम करता हूँ।

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरं।

पद्मालयां पद्महस्तां विष्णु वक्षः स्थलालयां॥

आप धर्म का आश्रय और करुणामयी वेदमाता गायत्री हैं, आपको मैं प्रणाम करता हूँ। आपका कमलवन में निवास है, आप ही हाथ में कमल धारण करने वाली तथा भगवान् विष्णु के वक्षःस्थल में निवास करनेवाली लक्ष्मी हैं।

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननां।

आल्हादरूपिणीम् सिद्धिं शिवाम् शिवकरीं सतीम्॥

चन्द्रमण्डल में भी आपका निवास है, आप चंद्रमुखी सीतादेवी को मैं नमस्कार करता हूँ। आप श्रीरघुनन्दन की आह्लादमयी शक्ति हैं, कल्याणमयी सिद्धि हैं और कल्याणकारिणी सती हैं।

नमामि विश्वजननीम् रामचन्द्रेष्टवल्लभां।

सीतां सर्वानवद्यान्गीम् भजामि सततं हृदा॥

श्रीरामचन्द्रजी की परम प्रियतमा जगदम्बा जानकीजी को मैं प्रणाम करता हूँ। सर्वांगसुन्दरी सीताजी का मैं अपने हृदय में सदैव चिंतन करता हूँ।

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